नई दिल्ली, 24 अक्टूबर 2025। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई सैंक्शंस ने रूस के दो बड़े तेल दिग्गजों—रॉसनेफ्ट और लुकोइल—पर निशाना साधा है, जो भारत के तेल आयात को गहरी चोट पहुंचा सकती हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह कदम रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) की EBITDA को 3,000-3,500 करोड़ रुपये तक कम कर सकता है, जबकि रूस समर्थित नायरा एनर्जी को भी क्रूड सप्लाई और निर्यात में भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। भारत, जो 2025 में रूसी तेल का 36% आयात करता रहा है, अब वैकल्पिक स्रोतों की तलाश में है, लेकिन मिडिल ईस्ट क्रूड की ऊंची कीमतें लागत को 12% तक बढ़ा सकती हैं।
ट्रंप प्रशासन ने बुधवार को घोषणा की कि रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए रॉसनेफ्ट और लुकोइल पर पाबंदियां लगाई जा रही हैं, जो रूस के तेल निर्यात का आधा हिस्सा संभालते हैं। अमेरिकी ट्रेजरी ने कंपनियों को 21 नवंबर तक मौजूदा सौदों को समाप्त करने का समय दिया है। यह कदम ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का हिस्सा है, जो रूस की युद्ध फंडिंग को चोट पहुंचाने का दावा करता है। लेकिन भारत के लिए यह झटका है, जहां रूसी तेल सस्ते दामों पर उपलब्ध था। जनवरी-सितंबर 2025 में भारत ने रोजाना औसतन 1.7 मिलियन बैरल रूसी क्रूड आयात किया, जिसमें रिलायंस और नायरा की बड़ी हिस्सेदारी है।
रिलायंस पर सबसे ज्यादा असर: 500,000 बैरल/दिन का सौदा खतरे में
रिलायंस, भारत का सबसे बड़ा निजी रिफाइनर, रॉसनेफ्ट के साथ 500,000 बैरल प्रति दिन के लॉन्ग-टर्म एग्रीमेंट पर निर्भर है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि रूसी तेल रिलायंस के ऑयल-टू-केमिकल्स (O2C) ऑपरेशंस का 20-25% हिस्सा है। सैंक्शंस के बाद यह सौदा प्रभावित होगा, जिससे रिफाइनिंग कॉस्ट 12% बढ़ सकती है। रिलायंस के Q2 EBITDA में O2C सेगमेंट का योगदान 15,008 करोड़ रुपये है, जबकि ग्रुप EBITDA 50,367 करोड़ का। एक एनालिस्ट ने कहा, “यह झटका ग्रुप स्तर पर अब्सॉर्ब हो सकता है, लेकिन वैकल्पिक क्रूड के लिए कीमतें ऊंची होंगी। हर $1 की बढ़ोतरी GRM (ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन) में EBITDA 2% बढ़ाती है, लेकिन उलटा भी लागू होता है।”
रिलायंस ने बयान जारी कर कहा, “रूसी तेल आयात की रीकैलिब्रेशन चल रही है, और हम सरकार के दिशानिर्देशों का पालन करेंगे।” हालांकि, EU की जनवरी 2026 से रूसी तेल से बने रिफाइंड प्रोडक्ट्स पर बैन पहले से ही रिलायंस के एक रिफाइनरी को प्रभावित कर रहा है।
नायरा एनर्जी: 50% रॉसनेफ्ट स्टेक से निर्यात पर संकट
नायरा एनर्जी, गुजरात के वादिनार रिफाइनरी का संचालन करने वाली, रॉसनेफ्ट की 49.13% हिस्सेदारी वाली कंपनी है। EU सैंक्शंस के बाद पहले ही 60-70% क्षमता पर चल रही रिफाइनरी अब क्रूड प्राप्ति और प्रोडक्ट्स के मार्केटिंग में फंस सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि नायरा को रिफाइंड फ्यूल अब्सॉर्ब करने पड़ेंगे, जो निर्यात-केंद्रित है। रॉसनेफ्ट पर डायरेक्ट सैंक्शंस नायरा को भी घसीट सकते हैं, हालांकि अमेरिका ने अभी इसे नाम नहीं लिया।
सरकारी रिफाइनर्स पर सीमित असर, लेकिन GRM पर दबाव
सरकारी कंपनियां जैसे इंडियन ऑयल कॉर्प (IOC), भारत पेट्रोलियम (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम (HPCL) ज्यादातर ट्रेडर्स के जरिए रूसी तेल खरीदती हैं, न कि डायरेक्ट रॉसनेफ्ट या लुकोइल से। एक सोर्स ने कहा, “वे दस्तावेज चेक कर रहे हैं कि कोई डायरेक्ट सप्लाई न हो।” लेकिन 30% सप्लाई गंवाने और $2-3/बैरल डिस्काउंट कम होने से GRM पर असर पड़ेगा। हर $1 की GRM गिरावट से आय 9-10% कम हो सकती है।
वैश्विक प्रभाव: तेल कीमतें 5% ऊपर, भारत-चीन पर दबाव
सैंक्शंस ने ब्रेंट क्रूड को 5% ऊपर धकेल दिया। भारत और चीन, रूस के सबसे बड़े खरीदार, अब OPEC या मिडिल ईस्ट पर निर्भर होंगे, लेकिन सप्लाई अम्पल है—कीमतें बढ़ेंगी। रूस ने इसे “प्रोडक्टिव नहीं” बताया, लेकिन पुतिन ने कहा, “हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत है।” Kpler एनालिस्ट्स के अनुसार, भारत के रूसी आयात “शून्य” तक गिर सकते हैं।
यह सैंक्शंस ट्रंप-मोदी व्यापार वार्ता का हिस्सा लगते हैं, जहां ट्रंप ने भारत पर रूसी तेल बंद करने का दबाव डाला था। क्या भारत वैकल्पिक स्रोतों से उबर पाएगा? आने वाले हफ्ते बताएंगे।






