
“सत्यपाल मलिक भारतीय राजनीति की उस विरली श्रेणी से आते हैं, जिन्हें सत्ता के उच्चतम पदों पर रहने के बाद भी बेबाक बोलने का साहस है। वे उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं और भारतीय जनता पार्टी के पुराने नेताओं में शुमार हैं। वे देश के कई राज्यों—जैसे कि जम्मू-कश्मीर, गोवा, मेघालय और बिहार—में राज्यपाल रह चुके हैं। राजनीति के गलियारों में उनकी पहचान एक ‘no-nonsense’ नेता के रूप में होती है—जो किसी भी मुद्दे पर स्पष्ट राय रखने से नहीं हिचकिचाते।“
ताजा घटनाक्रम: क्या हुआ अभी?
हाल ही में सत्यपाल मलिक को CBI द्वारा पूछताछ के लिए बुलाया गया, जो एक बार फिर से उन्हें चर्चा के केंद्र में ले आया है। मामला जुड़ा है रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार से संबंधित एक रक्षा सौदे से। जब वे जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे, तब उन्होंने दो बड़े अनुबंधों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया था कि उन्हें “2 सौदे पास करने के लिए रिश्वत” की पेशकश की गई थी। अब CBI इन आरोपों की जांच कर रही है और मलिक से पूछताछ की गई है ताकि तथ्यों को स्पष्ट किया जा सके।
सत्यपाल मलिक के आरोप: क्या कहा उन्होंने?
मलिक ने पहले भी सार्वजनिक मंचों से यह कहा था: “मुझे 300 करोड़ की रिश्वत की पेशकश की गई थी। जब मैंने इंकार किया, तो मुझे परेशान किया गया।” उनका दावा था कि रामकृष्ण मिशन हॉस्पिटल डील और एक इंश्योरेंस स्कीम में भारी अनियमितताएं थीं। उन्होंने कहा कि यह भ्रष्टाचार उस समय हुआ जब वे जम्मू-कश्मीर के गवर्नर थे, और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस विषय पर जानकारी दी थी। उनकी इस बयानबाजी से बीजेपी और सरकार में बेचैनी देखी गई थी।
राजनीतिक और समाजिक प्रतिक्रिया: सहयोग या विरोध?
सत्यपाल मलिक की इन टिप्पणियों ने राजनीतिक हलचल पैदा की। विरोधी पक्ष ने उन्हें “सच्चा गवाह” बताया और सरकार को घेर लिया। साथ ही, बीजेपी के कई नेताओं ने मलिक की इच्छा पर सवाल उठाया।
कई लोगों को लगता है कि उनका यह निर्णय उनकी निडरता और ईमानदारी का संकेत है, जबकि कुछ लोगों को लगता है कि यह एक “राजनीतिक स्टंट” भी हो सकता है।
CBI जांच: निष्पक्षता का प्रश्न?
अब CBI ने पूछताछ शुरू की है, इसलिए निष्पक्षता का प्रश्न भी उठता है। या शायद यह मलिक को शांत करने की कोशिश है?
CBI ने अब पुष्टि की है कि यह एक “नियमित जांच” है, और सत्यपाल मलिक को गवाह के रूप में नहीं बल्कि आरोपी के रूप में बुलाया गया है। लेकिन अधिकांश लोग इसे राजनीतिक दबाव मानते हैं।
सत्यपाल मलिक का राजनीतिक भविष्य: क्या होगा बाद में?
फिलहाल, मलिक ने स्पष्ट रूप से कहा,“मैं सच बोलता रहूंगा, चाहे जो हो।””
अब भी उनकी सक्रिय राजनीति में वापसी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है। वे स्वतंत्र और स्पष्टवादी नेता बन सकते हैं, खासकर अगर वे किसी विपक्षी गठबंधन में शामिल होते हैं या एक नया मंच बनाते हैं।
“सत्यपाल मलिक का मामला एक महत्वपूर्ण प्रश्न पैदा करता है: क्या आज के राजनीतिक परिवेश में सच बोलने का मूल्य चुकाना पड़ता है? उन्हें देखकर हमें लगता है कि सत्ता में रहते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलना कितना खतरनाक हो सकता है। यदि मलिक सही हैं, तो देश को चेतावनी मिलेगी। यदि वे गलत साबित होते हैं, तो यह विवादों में घिर गए लोगों की फेहरिस्त में एक और अध्याय जोड़ देगा।“