
हाईकोर्ट की टिप्पणियों के बाद मंजू शर्मा का इस्तीफा
लखनऊ, 3 सितंबर 2025 – राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) की सदस्य और प्रसिद्ध कवि व आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता कुमार विश्वास की पत्नी मंजू शर्मा ने राजस्थान हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणियों के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया। हाईकोर्ट ने 2021 सब-इंस्पेक्टर (SI) भर्ती परीक्षा की अखंडता को नुकसान पहुंचाने के लिए मंजू शर्मा सहित अन्य सदस्यों को जिम्मेदार ठहराया था, जिसके बाद यह भर्ती रद्द कर दी गई थी।
मंजू शर्मा ने सोमवार को राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े को लिखे अपने पत्र में कहा, “मैंने अपने संपूर्ण कार्यकाल और व्यक्तिगत जीवन में पूरी पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ काम किया है, लेकिन हाल ही में एक भर्ती प्रक्रिया में उत्पन्न विवाद के कारण मेरी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा और पूरे आयोग की गरिमा प्रभावित हुई है।”
उन्होंने आगे स्पष्ट किया, “मेरे खिलाफ किसी भी पुलिस संस्थान या जांच एजेंसी में कोई जांच लंबित नहीं है, न ही मुझे कभी किसी मामले में आरोपी माना गया है।” फिर भी, सार्वजनिक जीवन में शुद्धता को प्राथमिकता देते हुए और आयोग की गरिमा, निष्पक्षता और पारदर्शिता को सर्वोपरि मानते हुए, मंजू शर्मा ने स्वेच्छा से अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
राजस्थान हाईकोर्ट का कड़ा रुख
राजस्थान हाईकोर्ट ने 28 अगस्त 2025 को अपने आदेश में 2021 SI भर्ती प्रक्रिया को रद्द करते हुए RPSC के कई सदस्यों पर गंभीर टिप्पणियां कीं। कोर्ट ने मंजू शर्मा, बाबूलाल कटारा, रामूराम रायका, संगीता आर्य, जसवंत राठी और अध्यक्ष संजय श्रोत्रिय का नाम लेते हुए कहा कि इन सदस्यों ने “पेपर लीक और साक्षात्कार प्रक्रिया को प्रभावित करने में सक्रिय भागीदारी या जानकारी होने के कारण परीक्षा की अखंडता को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया।”
कोर्ट ने एक अन्य टिप्पणी में मंजू शर्मा, संगीता आर्य और जसवंत राठी की संलिप्तता को “चिंताजनक” बताया। कोर्ट ने कहा, “चार्जशीट के अनुसार, इन सदस्यों को आयोग के सदस्यों के बीच व्यक्तिगत लाभ के लिए हो रहे लेन-देन और अनुचित प्रथाओं की पूरी जानकारी थी।”
इसके अतिरिक्त, कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि पूर्व RPSC सदस्य रामूराम रायका ने अपने बच्चों के साक्षात्कार के संबंध में मंजू शर्मा, संगीता आर्य और जसवंत राठी से बातचीत की थी। इन सदस्यों की भागीदारी से RPSC के भीतर प्रणालीगत भ्रष्टाचार का संकेत मिलता है, जिसने लिखित और साक्षात्कार दोनों चरणों में भर्ती प्रक्रिया की विश्वसनीयता को प्रभावित किया।
मंजू शर्मा का शैक्षणिक और पेशेवर पृष्ठभूमि
मंजू शर्मा ने भूगोल में पीएचडी और एमए की डिग्री हासिल की है। इससे पहले, वे भरतपुर के सरकारी MSJ PG कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थीं। उनकी अक्टूबर 2020 में RPSC सदस्य के रूप में नियुक्ति भी विवादों में रही थी। उस समय, अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने उनकी नियुक्ति की थी, जिस पर कांग्रेस के कुछ नेताओं ने सवाल उठाए थे। इसका कारण था कि उनके पति कुमार विश्वास, जो आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे हैं, कांग्रेस पार्टी और इसके नेतृत्व के कटु आलोचक थे और 2014 में अमेठी में राहुल गांधी के खिलाफ लोकसभा चुनाव भी लड़े थे।
RPSC सदस्यों का कार्यकाल छह वर्ष का होता है, जिसके अनुसार मंजू शर्मा का कार्यकाल अक्टूबर 2026 तक चलना था। हालांकि, हाईकोर्ट के हालिया फैसले और सार्वजनिक जांच के दबाव के कारण उन्होंने समय से पहले इस्तीफा दे दिया।
RPSC और राजस्थान की भर्ती प्रक्रिया पर प्रभाव
मंजू शर्मा का इस्तीफा राजस्थान की भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक और अनुचित प्रथाओं के व्यापक आरोपों के बीच आया है, जिसने RPSC की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। 2021 SI भर्ती के रद्द होने से हजारों अभ्यर्थी प्रभावित हुए हैं, और हाईकोर्ट की टिप्पणियां भर्ती प्रणाली में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं।
मंजू शर्मा का इस्तीफा जवाबदेही की दिशा में एक कदम माना जा रहा है, लेकिन यह उन गहरी समस्याओं का समाधान नहीं करता, जिनका जिक्र कोर्ट ने किया है। RPSC के सामने अब भविष्य में निष्पक्ष और पारदर्शी भर्ती प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करने की चुनौती है।
ये भी पढ़ें:चंद्रशेखर आजाद JPC में शामिल होंगे: PM, CM हटाने वाले बिलों पर होगी चर्चा