
सोनम वांगचुक की भूख हड़ताल से शुरू हुआ शांत आंदोलन, अब हिंसा का तांडव – केंद्र का आरोप, ‘अरब स्प्रिंग’ जैसा भड़काया
लेह, 25 सितंबर 2025: लद्दाख की ठंडी वादियों में गर्मागर्म आग भड़क उठी। 24 सितंबर को लेह की सड़कों पर खून बहा, BJP ऑफिस और CRPF वैन जलाए गए, 4 जवान शहीद, 70 से ज्यादा घायल। कर्फ्यू लग गया, लेकिन सवालों का तूफान थमा नहीं। ये ‘जनरेशन Z’ का विद्रोह है, जो 2019 से लद्दाख को UT बनाने के बाद से सुलग रहा था। जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की 20 दिन की भूख हड़ताल ने इसे हवा दी, लेकिन केंद्र का आरोप – “अरब स्प्रिंग और नेपाल प्रोटेस्ट का जिक्र कर भड़काया।” क्या ये लद्दाख का दर्द केंद्र को झुका देगा, या सिर्फ आंसू बहाकर रह जाएगा? आइए, इस दर्दभरी कहानी की 10 परतें खोलते हैं, जहां गुस्सा, उम्मीद और टूटे वादों का मेला लगा है।
1. शांत विरोध से हिंसा तक: 2 हफ्तों का सन्नाटा टूटा
दो हफ्ते तक शांतिपूर्ण मार्च, भूख हड़ताल – लेकिन 24 सितंबर को सब उफान पर। युवाओं ने BJP ऑफिस फूंका, CRPF वैन पर हमला। 4 मौतें, 70 घायल। सोनम वांगचुक ने कहा, “ये युवाओं का फूटा गुस्सा है।” केंद्र ने जवाब दिया, “वांगचुक ने भड़काया।” लेह की सड़कें खामोश हैं, लेकिन दिलों में आग सुलग रही।
2. 2019 का काला अध्याय: UT स्टेटस ने तोड़ा भरोसा
2019 में जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बांटा, लद्दाख UT बना। BJP ने वादा किया – राज्य का दर्जा, जॉब्स, लैंड राइट्स। लेकिन 6 साल बाद कुछ नहीं। वांगचुक बोले, “वादे झूठे निकले।” युवा सड़कों पर उतरे, क्योंकि उनका भविष्य दांव पर है।
3. राज्य का दर्जा: लद्दाख की पहली मांग
लद्दाख चाहता है अपना राज्य – अपनी विधानसभा, अपना फ्लैग। UT स्टेटस में दिल्ली की दूरियां बढ़ीं। वांगचुक ने कहा, “हम अपनी पहचान खो रहे।” केंद्र का जवाब – हाई पावर्ड कमिटी (HPC) बनी, लेकिन मीटिंग्स में बस बातें। 6 अक्टूबर को अगली मीटिंग, लेकिन युवा इंतजार से तंग।
4. जॉब्स और लैंड: स्थानीय युवाओं का गुस्सा
बाहरी लोग आ रहे, लैंड खरीद रहे, जॉब्स छीन रहे। लद्दाख के 60% युवा बेरोजगार। वांगचुक बोले, “हमारी जमीन, हमारी संस्कृति खतरे में।” केंद्र का दावा – 33% जॉब्स लोकल्स को। लेकिन हकीकत? युवा चिल्ला रहे, “वादे झूठे!”
5. पर्यावरण का दर्द: सोनम वांगचुक की लड़ाई
वांगचुक, 3 इडियट्स फिल्म से फेमस, पर्यावरण के सिपाही। चिल्का झील बचाई, अब लद्दाख। उन्होंने कहा, “क्लाइमेट चेंज हमारी पहाड़ियां निगल रहा।” लेकिन केंद्र ने उन्हें ‘भड़काने वाला’ कहा। युवा वांगचुक को हीरो मानते – “उन्होंने हमारी आवाज दी।”
6. केंद्र का आरोप: ‘नेपाल और अरब स्प्रिंग’ का जिक्र भड़काया
सरकार बोली, “वांगचुक ने नेपाल के Gen Z प्रोटेस्ट और अरब स्प्रिंग का हवाला देकर भड़काया।” वांगचुक का जवाब – “ये युवाओं का जागरण है, हिंसा नहीं।” लेह में कर्फ्यू, लेकिन गुस्सा सुलग रहा।
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7. 4 मौतें, 70 घायल: दर्द की कीमत
24 सितंबर का काला दिन – प्रोटेस्टर्स और सिक्योरिटी फोर्सेज के बीच झड़प। BJP ऑफिस जला, CRPF वैन पर पथराव। 4 जवान शहीद, दर्जनों घायल। लेह में तनाव, लेकिन अब शांति। क्या ये दर्द व्यर्थ जाएगा?
8. Gen Z का विद्रोह: युवाओं की पुकार
वांगचुक बोले, “ये Gen Z रेवोल्यूशन है।” नेपाल जैसा बदलाव? लद्दाख के युवा सड़कों पर – जॉब्स, पहचान, पर्यावरण के लिए। केंद्र की HPC मीटिंग्स 25-26 सितंबर को, लेकिन युवा कहते, “बातें काफी नहीं।”
9. केंद्र का वादा: 6 अक्टूबर को HPC मीटिंग
सरकार बोली, “वांगचुक के मुद्दे चर्चा में हैं।” 6 अक्टूबर को HPC की अगली मीटिंग। लेकिन सवाल – क्या वादे पूरे होंगे? लद्दाख की आवाज दबी रहेगी या सुनी जाएगी?
10. शांति या सुलगता गुस्सा?
लेह धीरे-धीरे नॉर्मल हो रहा। कर्फ्यू हटा, लेकिन घाव गहरे। वांगचुक ने भूख हड़ताल खत्म की, लेकिन लड़ाई जारी। क्या केंद्र झुकेगा? लद्दाख की वादियां इंतजार कर रही – न्याय का, या फिर वादों का सिलसिला?