
पश्चिमी एशिया में हालात एक बार फिर तनावपूर्ण हो गए हैं। ईरान और इजरायल के बीच लंबे समय से चल रही तनातनी अब सीधी सैन्य कार्रवाई में बदल गई है। हाल ही में इजरायल ने ईरान के प्रमुख शहरों—शिराज, तबरीज और नतांज—में बड़ी एयरस्ट्राइक की, जिसमें ईरान के 6 से 9 टॉप न्यूक्लियर वैज्ञानिकों की जान चली गई। ये वैज्ञानिक यूरेनियम संवर्धन और एटम बम बनाने की दिशा में काम कर रहे थे। नतांज न्यूक्लियर साइट, जो ईरान के परमाणु मिशन का मुख्य केंद्र मानी जाती है, उसे भी इस हमले में भारी नुकसान पहुंचा है। ईरान की सरकारी मीडिया ने खुद माना है कि इस साइट पर हुए नुकसान से संवर्धन का काम बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
इसी हमले में ईरान की ताकतवर फौज IRGC (इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स) के कई शीर्ष कमांडर भी मारे गए हैं, जिनमें चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद बाघेरी और IRGC प्रमुख हुसैन सलामी जैसे नाम शामिल हैं। इन हत्याओं ने न सिर्फ देश के वैज्ञानिक समुदाय को झकझोर दिया है, बल्कि आम लोगों में भी गुस्से की लहर दौड़ गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन वैज्ञानिकों की मौत से ईरान का परमाणु मिशन कुछ वक्त के लिए धीमा जरूर होगा, लेकिन इतिहास बताता है कि ईरान ऐसे झटकों से उबरता रहा है।
ईरान का जवाबी हमला और बढ़ता युद्ध का खतरा
इस हमले के कुछ ही घंटों बाद ईरान ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए 150 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलें इजरायल पर दागीं। इस हमले में इजरायल में कई जगहों पर धमाके हुए और कुछ नागरिक घायल भी हुए। इससे दोनों देशों के बीच टकराव और भी भड़क गया है। इजरायल को शक था कि ईरान एटम बम बनाने के बेहद करीब पहुंच चुका है और इसी आशंका के चलते यह हमला किया गया। अमेरिका भी इस स्थिति को लेकर सतर्क है और पहले ही साफ कर चुका है कि वह ईरान को परमाणु शक्ति नहीं बनने देना चाहता।
ईरान ने इस कार्रवाई को खुलेआम युद्ध की घोषणा मानते हुए बदले की बात कही है। देशभर में विरोध और शोक का माहौल है। आम जनता गुस्से में है और सरकार ने संकेत दिया है कि आगे की रणनीति आक्रामक हो सकती है। इस पूरे घटनाक्रम ने पश्चिम एशिया की स्थिरता को गंभीर खतरे में डाल दिया है और अब दुनिया की नजरें इन दोनों देशों की अगली चाल पर टिकी हैं।