
भारत सरकार ने नई इलेक्ट्रिक वाहन (EV) नीति लागू कर दी है, जिससे देश में सस्ते और टिकाऊ इलेक्ट्रिक वाहनों का रास्ता साफ हो गया है। इस नीति के तहत स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा और आयात शुल्क में कटौती की जाएगी, जिससे विदेशी कंपनियां भारत में EVs का निर्माण कर सकें।
EVs का भविष्य भारत में कैसा होगा?
अब भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतें कम होने की उम्मीद है, क्योंकि सरकार ने EV कंपनियों को भारत में फैक्ट्री लगाने के लिए प्रोत्साहन देने का फैसला किया है। इससे टेस्ला, बीवाईडी, टाटा मोटर्स और महिंद्रा जैसी कंपनियां इस नीति का लाभ उठाने के लिए तैयार हैं। टेस्ला ने भारत में अपनी पहली फैक्ट्री लगाने की योजना बनाई है, जिससे भारतीय बाजार में सस्ते टेस्ला मॉडल उपलब्ध हो सकते हैं।

बैटरी टेक्नोलॉजी और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार
इसके अलावा, सरकार ने नई बैटरी रिसर्च योजनाओं की घोषणा की है, जिससे EVs की रेंज और चार्जिंग स्पीड बढ़ेगी। भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक 40% वाहन इलेक्ट्रिक हों। इस नीति से सस्ते EVs, बेहतर चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और नई टेक्नोलॉजी का विकास होगा।
महाराष्ट्र की नई EV नीति का असर
महाराष्ट्र सरकार ने भी अपनी नई EV नीति 2025 लागू की है, जिसमें राज्य को भारत का इलेक्ट्रिक मोबिलिटी हब बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इस नीति के तहत 30% नए वाहन इलेक्ट्रिक होंगे, और 40% सरकारी बसें इलेक्ट्रिक बनाई जाएंगी। इसके अलावा, EV चार्जिंग स्टेशनों को हर 25 किलोमीटर पर लगाने का फैसला लिया गया है।
EVs के लिए भारत का भविष्य
भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक 20 मिलियन EVs सड़कों पर हों। इस नीति से सस्ते EVs, बेहतर चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और नई टेक्नोलॉजी का विकास होगा। हालांकि, चार्जिंग स्टेशनों की कमी और बैटरी सप्लाई चेन को मजबूत करना अभी भी एक चुनौती बना हुआ है।