
नाम बदलने और मुख्यालय भिवाड़ी शिफ्ट करने की गंदी राजनीति, जनता ठगी गई
जयपुर, 8 अगस्त 2025 : राजस्थान के खैरथल-तिजारा जिले का नाम अब भर्तृहरिनगर हो गया है, लेकिन यह बदलाव सतह के नीचे एक बड़ी राजनीतिक साजिश को छुपाए हुए है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने 7 अगस्त को इस फैसले को मंजूरी दी, जिसके साथ जिला मुख्यालय को खैरथल से 55 किमी दूर भिवाड़ी में शिफ्ट करने का कदम भी उठाया गया। यह फैसला स्थानीय नेताओं के चुनाव जीतने के दांव और औद्योगिक-राजनीतिक हितों का नतीजा है, जिसने खैरथल और तिजारा की जनता को ठगा है।
स्थानीय नेताओं का चुनावी खेल: खैरथल को जिला बनवाने का वादा
खैरथल-तिजारा जिले का गठन 4 अगस्त 2023 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार ने किया था, लेकिन इसका श्रेय स्थानीय नेताओं ने अपने चुनावी फायदे के लिए लिया। तिजारा से भाजपा विधायक बाबा बालकनाथ और किशनगढ़ बास से कांग्रेस विधायक दीपचंद खैरिया ने खैरथल को जिला बनवाने का वादा करके 2023 के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की। बाबा बालकनाथ ने भिवाड़ी को जिला बनाने की मांग उठाई थी, लेकिन खैरथल को जिला बनवाकर अपनी साख मजबूत की। दीपचंद खैरिया ने खैरथल की मंडी और व्यापारिक महत्व को हथियार बनाया। दोनों नेताओं ने जनता से वादा किया कि जिला मुख्यालय खैरथल में रहेगा, लेकिन अब यह वादा धोखा साबित हुआ।
जिला स्तर पर साजिश: औद्योगिक लॉबी और नेताओं की मिलीभगत
जिला स्तर पर, भिवाड़ी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह चौहान और खुशखेड़ा कारोली इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के प्रदीप दायमा ने भिवाड़ी को मुख्यालय बनाने के लिए दबाव बनाया। इन नेताओं ने भाजपा और कांग्रेस दोनों से संपर्क साधा, क्योंकि भिवाड़ी राजस्थान का सबसे बड़ा औद्योगिक केंद्र है और राजस्व का बड़ा हिस्सा देता है। बाबा बालकनाथ ने भिवाड़ी के पक्ष में बयान देकर औद्योगिक लॉबी को समर्थन दिया, जबकि दीपचंद खैरिया ने पहले तो विरोध किया, लेकिन बाद में चुप्पी साध ली, ताकि कांग्रेस का अलवर क्षेत्र में आधार बचा रहे। यह साजिश जिले की शक्ति भिवाड़ी में केंद्रित करने की थी।
राज्य स्तर पर षड्यंत्र: भाजपा की रणनीति और विपक्ष की चुप्पी
राज्य स्तर पर, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने नाम बदलकर भर्तृहरिनगर करने और मुख्यालय भिवाड़ी शिफ्ट करने का फैसला लिया, जो भाजपा की सत्ता और वोट बैंक मजबूत करने की रणनीति है। नाम बदलाव से ऐतिहासिक पहचान का दिखावा किया गया, जबकि भिवाड़ी को औद्योगिक घरानों और बड़े नेताओं को फायदा पहुंचाने के लिए चुना गया। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली, क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जिला गठन का श्रेय लिया था, और अब विपक्ष इसे उलटने का जोखिम नहीं लेना चाहता। यह साजिश जिले की जनता को ठगने और राजनीतिक लाभ लेने की है।
क्या हुआ, कैसे और क्यों?
- क्या हुआ? नाम बदला भर्तृहरिनगर और मुख्यालय भिवाड़ी में शिफ्ट हुआ।
- कैसे हुआ? राज्य प्रशासनिक समिति की सिफारिश, औद्योगिक लॉबी के दबाव, और स्थानीय नेताओं बाबा बालकनाथ व दीपचंद खैरिया की सहमति से फैसला लिया गया।
- क्यों हुआ? चुनाव जीतने के वादों को पूरा करने का दिखावा, औद्योगिक हितों को बढ़ावा, और जिले की शक्ति बड़े नेताओं के हाथों में सौंपने के लिए।
निष्कर्ष: जनता का शोषण, नेताओं का खेल
यह बदलाव जिले के विकास के लिए नहीं, बल्कि स्थानीय नेताओं बाबा बालकनाथ, दीपचंद खैरिया, और राज्य सरकार की साजिश का परिणाम है। खैरथल और तिजारा के लोग 55 किमी दूर भिवाड़ी आने को मजबूर होंगे, जबकि उनके वोटों से जीते नेता उन्हें ठगा जा रहा है। यह गंदी राजनीति का नमूना है, जहां नाम बदलने का जश्न जनता की बेबसी का बहाना बन गया।
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