
प्रयागराज व वाराणसी वायु गुणवत्ता सुधार के मामले में पूरे भारत में सबसे बेहतर साबित हुए हैं। दोनों शहरों को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की ओर से 100 में 100 अंक मिले हैं, जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
इन दोनों शहरों की यह उपलब्धि नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (NCAP) के तहत की गई सतत कोशिशों का परिणाम है। खास बात यह है कि ये देश के इकलौते शहर हैं जिन्हें पूर्ण अंक मिले।
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वाराणसी में लगाए गए रिकॉर्ड पेड़
वाराणसी में “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान के तहत सिर्फ एक दिन में 18 लाख पौधे लगाए गए। इस पहल में स्थानीय प्रशासन, छात्र, सामाजिक संगठनों और आम जनता ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
इस दौरान शहर के विभिन्न हिस्सों में मियावाकी पद्धति से घने जंगल तैयार किए गए। इससे हवा की गुणवत्ता में तेज सुधार देखने को मिला।
प्रयागराज की रणनीति बनी मिसाल
इसके बाद प्रयागराज में स्मार्ट रोड्स, धूल नियंत्रण मशीनें और हरियाली बढ़ाने की योजनाओं ने असर दिखाया। PM10 स्तर में 20% से अधिक गिरावट दर्ज हुई, जो पिछले वर्षों की तुलना में बड़ी सफलता है।
AQI में भी सुधार दिखा है, जहां 2024-25 में 360 दिन तक एयर क्वालिटी इंडेक्स 200 से नीचे रहा – जो पर्यावरण के लिहाज से बेहतरीन माना जाता है।
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CPCB ने दोनों शहरों को सराहा
फिर केंद्रीय एजेंसी ने इन शहरों की कोशिशों को मॉडल सिटी उदाहरण माना। रिपोर्ट में कहा गया कि “योगी–मोदी मॉडल” के तहत हुए प्रयासों ने पर्यावरण सुरक्षा को नई दिशा दी है।
सरकार अब इस मॉडल को अन्य शहरों में लागू करने की योजना बना रही है ताकि वायु प्रदूषण की चुनौती से देशव्यापी तरीके से निपटा जा सके।
जनभागीदारी बनी सफलता की चाबी
अंत में यह साफ हुआ कि जब प्रशासन और जनता मिलकर किसी लक्ष्य पर काम करते हैं, तो ऐसे नतीजे आना तय हैं। यह कामयाबी सिर्फ सरकारी योजनाओं की नहीं, आम लोगों की भागीदारी की भी मिसाल है।
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